कुछ ऐसे हादसे भी होते हैं
ज़िंदगी में ऐ दोस्त,
इंसान बच तो जाता है
मगर ज़िंदा नहीं रहता।
ज्यादा ख़्वाहिशें नहीं
ऐ ज़िंदगी तुझसे,
बस अगला कदम
पिछले से बेहतरीन हो।
कभी खोले तो कभी
ज़ुल्फ़ को बिखराए है,
ज़िंदगी शाम है और
शाम ढली जाए है।
अकेले ही गुजर जाती है तन्हा ज़िंदगी,
लोग तसल्लियाँ तो देते हैं साथ नहीं देते।
कभी – कभी नाराजगी,
दूसरों से ज्यादा खुद से होती है।
जरुरी नहीं चुभे कोई बात हीं,
बात ना होना भी बहुत चुभता है।
हमें नहीं आता दर्द दिखावा करना,
बस अकेले रोते हैं और सो जाते हैं।
पहचानूं कैसे तुझ को मेरी ज़िंदगी बता,
गुजरी है तू करीब से लेकिन नकाब में।
धूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटाकर देखो।
खुश हो ना !
हमारा प्यार अधूरा रह गया,
पर तेरा टाइमपास पूरा हो गया।
दौड़ती भागती जिंदगी का
यही तोहफ़ा है
खूब लुटाते रहे अपनापन
फिर भी लोग खफा हैं
बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई उस वक़्त
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नहीं होता
जितना मुश्किल किसी को पाना है
उससे ज्यादा मुश्किल उसे भूलाना है
पानी चाहे समंदर में हो या आँखों में
राज और गहराई दोनों में होती है
ज़िन्दगी कब की खामोश हो गयी
दिल तो बस आदतन धड़कता है!