लूटते नेता और अफसर
जन-जन को प्यार से!
सो जनता करे स्वागत
रैलियों में फूलों हार से!!
बदहाल है मुल्क अपने ही देश के गद्दारों से!
कुछ ना होगा भला चंद भ्रष्टाचार विरोधी नारों से!
नाम से जनसेवक असल में
जीवन में बन गए डाकू !
लुटते जनता को हर स्तर पर
ना बन्दूक ना दिखाए चाकू !!
छोटे छोटे सरकारी नौकर भी
खाने लगे हैं घूस !
मिडिल क्लास की जेब कटी
गरीब का निकला जूस !!
ना सुधरेंगे ये दीमक
क़ानून का डर दिखाकर !
क्योंकि जी रहे हैं ये
भ्रष्टाचार को धर्म बनाकर !!