एक राजा था,,,उसने एक सर्वे करनेका सोचा कि
मेरे राज्य के लोगों की घर गृहस्थि पति से चलती है या पत्नि से..।
उसने एक ईनाम रखा कि ” जिसके घर में पति का हुक्म चलता हो, उसे मनपसंद घोडा़ ईनाम में मिलेगा और जिसके घर में पत्नि की सरकार हो वह एक सेब ले जाए.. ।
एक के बाद एक सभी नगरजन सेब उठाकर जाने लगे । राजाको चिंता होने लगी.. क्या मेरे राज्य में सभी जगह पत्नी का हुक्म चलता है,,
इतने में एक लम्बी लम्बी मुछों वाला, मोटा तगडा़ और लाल लाल आखोंवाला जवान आया और बोला
” राजा जी मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है .. घोडा़ मुझे दिजीए ..”
राजा खुश हो गए और कहा जा अपना मनपसंद घोडा़ ले जा ..। जवान काला घोडा़ लेकर रवाना हो गया ।
घर गया और फिर थोडी़ देरमें दरबार में वापिस लौट आया।
राजा: ” क्या हुआ जवामर्द ? वापिस क्यों आया !
जवान : ” महाराज, घरवाली कहती है काला रंग अशुभ होता है, सफेद रंग शांति का प्रतिक होता है तो आप मुझे सफेद रंग का घोडा़ दिजिए
राजा: ” घोडा़ रख ..और सेब लेकर चलता बन,,,
इसी तरह रात हो गई .. दरबार खाली हो गया,, लोग सेब लेकर चले गए ।
आधी रात को महामंत्री ने दरवाजा खटखटाया,,,
राजा : ” बोलो महामंत्री कैसे आना हुआ ?
महामंत्री : ” महाराज आपने सेब और घोडा़ ईनाम में रखा ,इसकी जगह एक मण अनाज या सोना वगेरा रखा होता तो लोग कुछ दिन खा सकते या जेवर बना सकते थे,,,
राजा :” मुझे तो ईनाम में यही रखना था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक है इसलिए वही रखा,,,,
महामंत्री : ” महाराज आपके लिए सेब काट दुँ..!!
राजा को हँसी आ गई । और पुछा यह सवाल तुम दरबार में या कल सुबह भी पुछ सकते थे । तो आधी रात को क्यों आये ??
महामंत्री : ” मेरी धर्मपत्नि ने कहा अभी जाओ और पुछ के आओ,,,
सच्ची घटना का पता चले ..।
राजा ( बात काटकर ) : ” महामंत्री जी , सेब आप खुद ले लोगे या घर भेज दिया जाए ।”
Moral of the story..
समाज चाहे पुरुषप्रधान प्रतीत हो लेकिन संसार स्त्रीप्रधान ही है।
“Society is male dominated but female driven”
दोस्तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं की सेव खाना स्वास्थय के लिए बहुत लाभदायक है, मैं भी खा रहा हूँ,,,,,,,,,,