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बेटियों पर कविता तिवारी की कविता । Kavita Tiwari Poem on Beti

जिम्मेदारियों का बोझ परिवार पे पड़ा तो ,
ऑटो , रिक्शा , ट्रेन को चलाने लगी बेटियाँ !!
साहस के साथ , अंतरिक्ष तक भेद डाला ,
सुना है वायुयान भी उड़ाने लगी बेटियाँ !!

और कितने उदाहरण ढूँढ कर लाऊं ,
हर क्षेत्र शक्ति आजमाने लगी बेटियाँ !!
वीर की सहादत पर , अर्थी को कन्धा देके ,
अब शम्शान तक भी जाने लगी बेटियाँ !!

घर में बंटा के हाथ , रहती हैं माँ के साथ
पिता की समस्त बाधा हरती है बेटियाँ !!
कटु वाक्य बोलने से पूर्व सोचती है खूब
मन में सहमती है , डरती है बेटियाँ !!

बेटे हो कुदंड भले , आपका दुखा दे दिल
कष्ट सह के भी धैर्य धरती हैं बेटियाँ !!
प्रश्न ये चलनशील सबके लिए है आज ,
नित्य प्रति कोख में क्यों मरती है बेटियाँ !!

ललिता , विशाखा , राधा रानी बेटी होती नहीं
यशोदा दुलारे नन्द नंदन नचाता कौन ?
अनुसुइया जैसी बेटी , तप्साधिका न होती
पालने में ब्रह्मा , विष्णु , रूद्र को झुलाता कौन ?

जनता जनार्दन बताएगी एक बात आज ,
सावित्री न होती सत्यवान को बचाता कौन ?
सब कुछ होता , पर एक बात सोच लेना
कविता न होती , तो यह कविता सुनाता कौन ?

Writer – Kavita Tiwari

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