अपनी दुनिया, अपनी धुन में
खो जाऊं तो क्या होगा ?
जैसी तुम हो, मैं भी
वैसा हो जाऊं तो क्या होगा?
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है.
सोचता हूँ कि
उसकी याद आख़िर
अब किसे
रात भर जगाती है ?
मोहब्बत का मज़ा तो,
डूबने की कशमकश में है !!
जो हो मालूम गहरायी,
तो दरिया पार क्या करना !!
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!