“गौरव, मान- मर्यादा और आत्मसम्मान से बढ कर कीमती जीवन भी नही समझना चाहिए।” – महाराणा प्रताप
यदि सर्प से प्रेम रखोगे तो भी वह अपने स्वभाव के अनुसार डसेगा ही। – महाराणा प्रताप
अपनों से बड़ों के आगे झुक कर समस्त संसार को झुकाया जा सकता है। – महाराणा प्रताप
अपने अच्छे समय में अपने कर्म से इतने विश्वास पात्र बना लो कि बुरा वक्त आने पर वो उसे भी अच्छा बना दे। – महाराणा प्रताप
सत्य, परिश्रम और संतोष सुखमय जीवन के साधन है। परन्तु अन्याय के प्रतिकार के लिए हिंसा भी आवश्यक है। – महाराणा प्रताप
मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है। अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए। – महाराणा प्रताप
मातृभूमि और अपनी माँ में तुलना करना और अंतर समझना निर्बल और मूर्खों का काम है। – महाराणा प्रताप