स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा संबंध है।
अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करें, दूसरे पर निर्भर ना रहें।
अगर आप वाकई में अपने आप से प्रेम करते है, तो आप कभी भी दूसरों को दुःख नहीं पहुंचा सकते।
शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्त्तव्य है, नहीं तो हम अपने दिमाग को मजबूत एवं स्वच्छ नहीं रख पाएंगे
क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकड़े रहने के समान हैं, इसमें आप ही जलते हैं।
इंसान के भीतर ही शांति का वास होता है, इसे बाहर ना खोजे।
अराजकता सभी जटिल बातों में निहित है, परिश्रम के साथ प्रयास करते रहो।
नफरत से नफरत कभी खत्म नहीं हो सकती। नफरत को केवल प्यार द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है। यह एक प्राकृतिक सत्य है।
मनुष्य का दिमाग ही सब कुछ है, जो वह सोचता है वही वह बनता है।
खुशियों का कोई अलग रास्ता नहीं, खुश रहना ही रास्ता है।
जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
मंजिल तक पहुँचने से ज्यादा महत्वपूर्ण, मंजिल तक की यात्रा अच्छे से करना होता है।
सभी भावनाओं की मूल जड़ में दुःख निहित होता है।
बुद्धिमान व्यक्ति अपनी वाणी को समझता है, मूर्ख अपनी वाणी को ही समझता है।
जो अपने मन को वश में नहीं करता, उसे दुःख ही प्राप्त होता है।
शब्दों के द्वारा केवल ज्ञान होता है, उनसे मोक्ष नहीं मिलता।
दुखी होने की वजह इच्छाओं में पकड़ जाना है।
जो अपनी वाणी को संयम नहीं करता, वह अपने वचनों से ही भयभीत होता है।
न किसी का दुःख होता है, न किसी का सुख। सभी संसार के साधारण जीवों में ही जन्म-मरण होता है।
वही व्यक्ति सफल होता है, जो अपने विचारों को वश में कर लेता है।
जब तक मन शांत नहीं होता, तब तक कुछ भी शांति प्राप्त नहीं की जा सकती।
जो सत्य के पाथ पर चलता है, उसे कभी भी दुःख नहीं होता।
अधिकार तब तक अधिकार नहीं होता, जब तक उसे अन्यों के लिए उपयोग में नहीं लिया जाता।