ओ देश मेरे !
तेरी शान पे सदके
कोई धन है क्या
तेरी धूल से बढ़के..?
तेरी धूप से रोशन
तेरी हवा पे ज़िन्दा
तू बाग है मेरा
मैं तेरा परिंदा
है अर्ज़ है दीवाने की
जहाँ भोर सुहानी देखी
एक रोज़ वहीं मेरी शाम हो
कभी याद करे जो ज़माना
माटी पे मर मिट जाना
जिक्र में शामिल मेरा नाम हो
ओ देश मेरे!
तेरी शान पे सदके
कोई धन है क्या?
तेरी धूल से बढ़के…!!
तेरी धुप से रौशन
तेरी हवा पे जिन्दा
तू बाग़ है मेरा
मैं तेरा परिंदा
आँचल तेरा रहे माँ
रंग बिरंगा
ओ ऊँचा आसमान से
हो तेरा तिरंगा
जीने की इज़ाज़त देदे
या हुकुम शहादत देदे
मंजूर हमें जो भी तू चुने
रेशम का हो मधुशाला
या कफ़न सिपाही वाला
ओढ़ेंगे हम जो भी तू बुने
ओ देश मेरे
तेरी शान पे सड़के
कोई धन है क्या
तेरी धुल से बढ़ के
तेरी धुप से रौशन
तेरी हवा पे जिन्दा
तू बाग़ है मेरा
मैं तेरा परिंदा