पैसा उस छठी इन्द्री के समान है
जिसके अभाव में
बाकी पाँच भी निष्क्रिय हो जाती हैं।
- विलियम समरसेट मघम
पैसा उस छठी इन्द्री के समान है
जिसके अभाव में
बाकी पाँच भी निष्क्रिय हो जाती हैं।
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