सरफ़रोशी की तमन्ना
अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना
बाज़ु-ए-क़ातिल में है
एक से करता नहीं क्यूँ
दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे
वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत
मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा
ग़ैर की महफ़िल में है
वक़्त आने दे बता देंगे
तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बतायें
क्या हमारे दिल में है
खैंच कर लायी है सब को
क़त्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट
कूच-ए-क़ातिल में है