विधना तेरे लेख लिरिक्स । Vidhna Tere Lekh Lyrics in Hindi

दोहा – व्याकुल दशरथ के लगे,
रथ के पथ पर नैन।
रथ विहीन वन वन फिरें,
राम सिया दिन रेन।।

विधना तेरे लेख किसी की,
समझ ना आते हैं,
जन जन के प्रिय राम लखन सिय,
वन को जाते हैं।।

एक राजा के राज दुलारे,
वन वन फिरते मारे मारे,
होनी होकर रहे कर्म गति,
टरे नहीं काहूँ के टारे,
सबके कष्ट मिटाने वाले,
कष्ट उठाते हैं,
जन जन के प्रिय राम लखन सिय,
वन को जाते हैं।।

फूलों से चरणों में काँटे,
विधि ने क्यों दु:ख दीन्हे ऐसे,
पग से बहे लहु की धारा,
हरि चरणों से गंगा जैसे,
सहज भाव से संकट सहते,
और मुस्काते हैं,
जन जन के प्रिय राम लखन सिय,
वन को जाते हैं।।

राजमहल में पाया जीवन,
फूलों में हुआ लालन पालन,
राजमहल के त्याग सभी सुख,
त्याग अयोध्या त्याग सिंहासन,
कर्म निष्ठ हो अपना अपना,
धर्म निभाते हैं,
महलों के वासी जंगल में,
कुटि बनाते हैं।।

कहते हैं देवों ने आकर,
भील किरात का भेष बनाकर,
पर्णकुटी रहने को प्रभु के,
रखदी हाथों हाथ सजाकर,
सिया राम की सेवा करके,
पुण्य कमाते हैं,
महलों के वासी जंगल में,
कुटि बनाते हैं।।

विधना तेरे लेंख किसी की,
समझ ना आते हैं,
जन जन के प्रिय राम लखन सिय,
वन को जाते हैं।।

अन्य टॉपिक चुने - Hindi Shayari, Quotes, Lyrics, English News, Hindi News, Web Development, IT Services, SEO

यह भी पढ़ें

टॉप ट्रेंडिंग

कहने की जरूरत नहीआना ही बहुत हैंमाँ काली के...

बिखरने का मुझको शौक़ है बड़ासमेटेगा मुझको तू बता...

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं पोस्टर । Ram Navami Ki...